उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विपक्ष ने महंगाई के मुद्दे पर सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वॉकआउट कर दिया। बुधवार को सत्र के आगाज के साथ ही विपक्ष महंगाई के मुद्दे पर नियम 310 के तहत चर्चा कराने की जिद पर अड़ गया। प्रतीकात्मक तौर पर महंगाई को दिखाने के लिए विपक्ष के कुछ सदस्य गले में प्याज और लहसुन की माला पहन कर सदन में पहुंचे। उनके हाथों में गैस के सिलेंडर की आकृति वाले कटआउट भी थे।
सदन में कटआउट लाने पर स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने नाराजगी जाहिर की और विपक्ष को ऐसा न करने की नसीहत दी। अलबत्ता उन्होंने नियम 58 में ग्राहयता पर सुनने की अनुमति दी। प्रश्नकाल के बाद कार्य स्थगन के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश, विधायक प्रीतम सिंह समेत सदन में उपस्थित विपक्ष के सभी सदस्यों ने महंगाई के बहाने नोटबंदी, जीएसटी के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने प्याज, पेट्रोल, डीजल व अन्य वस्तुओं की मूल्यवृद्धि के तुलनात्मक आंकड़ों को हथियार बनाते हुए सरकार को घेरने की कोशिश की। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने भी विपक्ष पर पलटवार करने के लिए कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश और राजस्थान में पेट्रोल, डीजल, चावल, दाल व अन्य वस्तुओं के तुलनात्मक आंकड़ों को हथियार बनाया और ये जताने की कोशिश की कि उत्तराखंड की सरकार महंगाई पर नियंत्रण करने में काफी हद तक कामयाब रही है।
विपक्ष के नोटबंदी और जीएसटी को लेकर उठाए गए सवालों का उन्होंने यह कहकर जवाब दिया कि उत्तराखंड में 2017 विधानसभा चुनाव में और 2019 में लोकसभा चुनाव में जनता इसका जवाब दे दिया है। उनके जवाब से असहमत नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार महंगाई रोकने के उपाय के बारे में बताने में नाकाम रही है। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिगर्मन करने की बात कही और सभी सदस्य सदन से बाहर चले गए। मंहगाई पर विपक्षी विधायक प्रीतम सिंह, गोविंद सिंह कुंजवाल, करन माहरा, काजी निजामुद्दीन, हरीश धामी, राजकुमार, ममता राकेश और आदेश चौहान ने सरकार की आलोचना की और उसे गरीब विरोधी करार दिया।
सदन में कटआउट लाने पर स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने नाराजगी जाहिर की और विपक्ष को ऐसा न करने की नसीहत दी। अलबत्ता उन्होंने नियम 58 में ग्राहयता पर सुनने की अनुमति दी। प्रश्नकाल के बाद कार्य स्थगन के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश, विधायक प्रीतम सिंह समेत सदन में उपस्थित विपक्ष के सभी सदस्यों ने महंगाई के बहाने नोटबंदी, जीएसटी के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने प्याज, पेट्रोल, डीजल व अन्य वस्तुओं की मूल्यवृद्धि के तुलनात्मक आंकड़ों को हथियार बनाते हुए सरकार को घेरने की कोशिश की। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने भी विपक्ष पर पलटवार करने के लिए कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश और राजस्थान में पेट्रोल, डीजल, चावल, दाल व अन्य वस्तुओं के तुलनात्मक आंकड़ों को हथियार बनाया और ये जताने की कोशिश की कि उत्तराखंड की सरकार महंगाई पर नियंत्रण करने में काफी हद तक कामयाब रही है।
विपक्ष के नोटबंदी और जीएसटी को लेकर उठाए गए सवालों का उन्होंने यह कहकर जवाब दिया कि उत्तराखंड में 2017 विधानसभा चुनाव में और 2019 में लोकसभा चुनाव में जनता इसका जवाब दे दिया है। उनके जवाब से असहमत नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार महंगाई रोकने के उपाय के बारे में बताने में नाकाम रही है। इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिगर्मन करने की बात कही और सभी सदस्य सदन से बाहर चले गए। मंहगाई पर विपक्षी विधायक प्रीतम सिंह, गोविंद सिंह कुंजवाल, करन माहरा, काजी निजामुद्दीन, हरीश धामी, राजकुमार, ममता राकेश और आदेश चौहान ने सरकार की आलोचना की और उसे गरीब विरोधी करार दिया।
महंगाई के आंकड़ों पर तर्क-वितर्क
विपक्ष : विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि डीजल के दाम नियंत्रित हो जाएं तो महंगाई पर काबू पाया जा सकता है। देहरादून में डीजल 66.30 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है, जबकि चंडीगढ़ में 65.15 रुपये, यूपी में 65.74 रुपये, शिमला में 65.93 रुपये प्रति लीटर है। उन्होंने भारत सरकार के एनएसएसओ के आंकड़ों के जरिये कहा कि वर्तमान में महंगाई के कारण उपभोक्ता क्रय क्षमता घट गई है। 2011-12 में यह 1501 रुपये थी, जो अब 1446 रुपये रह गई है।
ये भी कहा : आर्थिक मंदी के कारण महंगाई बढ़ी। राशन की दुकानों से केरोसिन, चीनी और राशन गायब है। पंचायत चुनाव में फायदा लेने के लिए सस्ती दाल देने का ढोंग किया गया। अब बिजली भी महंगी कर दी।
सत्तापक्ष : संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने आंकड़ों का जवाब आंकड़ों से दिया। उन्होंने पेट्रोल की कीमत की तुलना कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश और राजस्थान की राजधानियों में पेट्रोल की कीमतों से की। उन्होंने सदन में बताया कि देहरादून में पेट्रोल का मूल्य 76.76 रुपये प्रति लीटर है, जबकि जयपुर में ये 78.86 व भोपाल में 83.22 रुपये प्रति लीटर है। इसी तरह भोपाल में डीजल 72 रुपये और जयपुर में 70.84 रुपये प्रति लीटर है, जो देहरादून से अधिक है।
ये भी कहा : आर्थिक मंदी के कारण महंगाई बढ़ी। राशन की दुकानों से केरोसिन, चीनी और राशन गायब है। पंचायत चुनाव में फायदा लेने के लिए सस्ती दाल देने का ढोंग किया गया। अब बिजली भी महंगी कर दी।
सत्तापक्ष : संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने आंकड़ों का जवाब आंकड़ों से दिया। उन्होंने पेट्रोल की कीमत की तुलना कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश और राजस्थान की राजधानियों में पेट्रोल की कीमतों से की। उन्होंने सदन में बताया कि देहरादून में पेट्रोल का मूल्य 76.76 रुपये प्रति लीटर है, जबकि जयपुर में ये 78.86 व भोपाल में 83.22 रुपये प्रति लीटर है। इसी तरह भोपाल में डीजल 72 रुपये और जयपुर में 70.84 रुपये प्रति लीटर है, जो देहरादून से अधिक है।
कौशिक ने बयान घुमाया, विपक्षी हुए असहज
महंगाई पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों की उठाए गए मुद्दों को अपने पक्ष में घुमाकर संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने उन्हें असहज करने की कोशिश की। उन्होंने ममता राकेश का यह कहकर धन्यवाद किया कि उन्होंने कम से कम यह तो स्वीकारा कि उनकी विधानसभा में कृषि मंत्री के कार्यक्रम में एक उद्योगपति ने यह कहा कि लेमन ग्रास की खेती से उन्हें आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिली।
हालांकि ममता राकेश का कहना था कि उद्यमी नोटबंदी और जीएसटी के कारण बर्बादी के कगार पर आ गया था और लेमन ग्रास की खेती अपनाने पर उससे कुछ राहत मिली।
कौशिक ने जीएसटी और नोटबंदी को छोड़कर लेमन ग्रास की खेती के बहाने विपक्ष को असहज करने की कोशिश की। इसी तरह विपक्षी विधायक करन माहरा यह बोल गए कि अगले 10-15 साल तक सरकार यही बोलती रहेगी कि तुम्हारी सरकार। इस बयान पर कौशिक ने माहरा को धन्यवाद किया।
हालांकि ममता राकेश का कहना था कि उद्यमी नोटबंदी और जीएसटी के कारण बर्बादी के कगार पर आ गया था और लेमन ग्रास की खेती अपनाने पर उससे कुछ राहत मिली।
कौशिक ने जीएसटी और नोटबंदी को छोड़कर लेमन ग्रास की खेती के बहाने विपक्ष को असहज करने की कोशिश की। इसी तरह विपक्षी विधायक करन माहरा यह बोल गए कि अगले 10-15 साल तक सरकार यही बोलती रहेगी कि तुम्हारी सरकार। इस बयान पर कौशिक ने माहरा को धन्यवाद किया।
सचेतक की सूचना पर स्पीकर ने चैंपियन की सीट बदली
भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित खानपुर विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन के सदन में सत्ता पक्ष के बीच बैठने को लेकर बना सस्पेंस खत्म हो गया है। भाजपा विधायक मंडल दल के सचेतक की ओर से चैंपियन के निष्कासन की सूचना प्राप्त होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने चैंपियन के बैठने का स्थान बदल दिया। अब चैंपियन निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार के नजदीक बैठेंगे। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में सरकार की ओर से उन्हें सूचना देने की जानकारी दी।
सुबह जब सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि उन्हें संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक की ओर से चैंपियन के निष्कासन की सूचना मिल गई है। उन्होंने भाजपा संगठन की ओर से भी इस संबंध में एक पत्र प्राप्त होने की जानकारी दी। उन्होंने दोनों पत्रों का संज्ञान लेते हुए चैंपियन के बैठने का नया स्थान तय कर दिया जो विपक्षी दीर्घा की ओर है। बुधवार को चैंपियन अपने नए स्थान पर ही बैठे। कार्यवाही के दौरान चैंपियन काफी शांत रहे।
स्पीकर के बयान से बना था सस्पेंस
चैंपियन के बैठने के स्थान को लेकर मंगलवार को उस समय सस्पेंस बन गया था जब स्पीकर ने कहा कि उन्हें चूंकि सरकार की ओर से चैंपियन के निष्कासन की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई, इसलिए वे वहीं बैठेंगे जहां पहले बैठते थे। इससे स्पष्ट हो गया था कि चैंपियन सत्ता पक्ष की दीर्घा में ही बैठेंगे। लेकिन इस असहज स्थिति से बचने के लिए सरकार की ओर से स्पीकर को सूचना दे दी गई।
निष्कासन के बाद भी व्हिप से बंधे हैं चैंपियन
खानपुर विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन बेशक भाजपा से निष्कासित हो गए हैं, लेकिन उनकी सदस्यता बरकरार है। संसदीय जानकारों के अनुसार, तकनीकी तौर पर चैंपियन अब भी भाजपा विधायक मंडल दल के सदस्य हैं। उनकी सदस्यता निरस्त करने को लेकर भाजपा विधायक मंडल दल की ओर से कोई पहल नहीं की गई । विधानसभा अध्यक्ष को इतना ही अवगत कराया गया कि चैंपियन का निष्कासन किया जा चुका है। इसलिए उनके बैठने का स्थान सत्ता पक्ष की दीर्घा से अलग कर दिया जाए। हालांकि भाजपा विधायक मंडल चाहता तो वह चैंपियन की सदस्यता निरस्त करने को लेकर याचिका दे सकता था। संविधान की दसवीं अनुसूची में किसी भी सदस्य की सदस्यता निरस्त करने पर तभी विचार हो सकता है, जो कोई सदस्य या विधायक मंडल दल स्पीकर को लिखित याचिका प्रस्तुत करे।
भाजपा विधायक मंडल दल की बैठक में आना चाहते थे चैंपियन
भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो मंगलवार को मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर हुई भाजपा विधायक मंडल दल की बैठक में भी विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन शामिल होना चाहते थे। वहां मौजूद प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की मनाही के बाद उन्हें शामिल नहीं होने दिया गया। सूत्रों के अनुसार, पार्टी में एक खेमा चैंपियन के अब तक के आचरण से खुश है और उन्हें अभयदान देने की हिमायत कर रहा है।
सुबह जब सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि उन्हें संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक की ओर से चैंपियन के निष्कासन की सूचना मिल गई है। उन्होंने भाजपा संगठन की ओर से भी इस संबंध में एक पत्र प्राप्त होने की जानकारी दी। उन्होंने दोनों पत्रों का संज्ञान लेते हुए चैंपियन के बैठने का नया स्थान तय कर दिया जो विपक्षी दीर्घा की ओर है। बुधवार को चैंपियन अपने नए स्थान पर ही बैठे। कार्यवाही के दौरान चैंपियन काफी शांत रहे।
स्पीकर के बयान से बना था सस्पेंस
चैंपियन के बैठने के स्थान को लेकर मंगलवार को उस समय सस्पेंस बन गया था जब स्पीकर ने कहा कि उन्हें चूंकि सरकार की ओर से चैंपियन के निष्कासन की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई, इसलिए वे वहीं बैठेंगे जहां पहले बैठते थे। इससे स्पष्ट हो गया था कि चैंपियन सत्ता पक्ष की दीर्घा में ही बैठेंगे। लेकिन इस असहज स्थिति से बचने के लिए सरकार की ओर से स्पीकर को सूचना दे दी गई।
निष्कासन के बाद भी व्हिप से बंधे हैं चैंपियन
खानपुर विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन बेशक भाजपा से निष्कासित हो गए हैं, लेकिन उनकी सदस्यता बरकरार है। संसदीय जानकारों के अनुसार, तकनीकी तौर पर चैंपियन अब भी भाजपा विधायक मंडल दल के सदस्य हैं। उनकी सदस्यता निरस्त करने को लेकर भाजपा विधायक मंडल दल की ओर से कोई पहल नहीं की गई । विधानसभा अध्यक्ष को इतना ही अवगत कराया गया कि चैंपियन का निष्कासन किया जा चुका है। इसलिए उनके बैठने का स्थान सत्ता पक्ष की दीर्घा से अलग कर दिया जाए। हालांकि भाजपा विधायक मंडल चाहता तो वह चैंपियन की सदस्यता निरस्त करने को लेकर याचिका दे सकता था। संविधान की दसवीं अनुसूची में किसी भी सदस्य की सदस्यता निरस्त करने पर तभी विचार हो सकता है, जो कोई सदस्य या विधायक मंडल दल स्पीकर को लिखित याचिका प्रस्तुत करे।
भाजपा विधायक मंडल दल की बैठक में आना चाहते थे चैंपियन
भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो मंगलवार को मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर हुई भाजपा विधायक मंडल दल की बैठक में भी विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन शामिल होना चाहते थे। वहां मौजूद प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की मनाही के बाद उन्हें शामिल नहीं होने दिया गया। सूत्रों के अनुसार, पार्टी में एक खेमा चैंपियन के अब तक के आचरण से खुश है और उन्हें अभयदान देने की हिमायत कर रहा है।